👆 ये चित्र ला ध्यान से देखव इही हमर उत्पत्ति के जीता-जागता सबूत आय जब सबसे पहली प्रकृति के गर्भ ले आदिमानव(हमर पुरखा) बनिस होही ता अइसनेच बनिस होही समय काल प्रस्थिति के हिसाब ले भले आज जतिक सुंदर नइ बनिस होही।
मोर समझ कथे कि हमन ला कोनो चमत्कारिक शक्ति नइ बनाय हे ना हम कोनो चमत्कारिक पुरूष के पैर ले पैदा होय हन।
हमर पुरखा मन प्रकृति ले पैदा होय हें अउ प्रकृति स्वनिर्मित हे येला विज्ञान घला मानथे। अउ वोखर ले आगू के खोज मा विज्ञान निरंतर लगे हे।
अउ ये सार्वभौमिक सत्य हे कि प्रकृति के बगैर ये दुनिया के कल्पना करना असंभव हे।
मैं कहात हँव तेला मत मानो खुद कल्पना अउ शोध करके देखव सत्य के अनुभव जरूर होही।
हमन ला अनपढ़ समझ के दुनिया के पढ़े लिखे मनखे मन बहुत मूरख बना डारिन हमर संस्कृति ला तहस नहस करत हमर जल जंगल जमीन ल उजारत हें।
हमर ऊपर दूसर के संस्कृति ला जबरदस्ती थोप के ऊँखर संघ ला मजबूत करत हें अउ संघ के माध्यम ले राजनीतिक पार्टी बना के देश में राज करत हें।
अउ देख लेहू एक दिन हमर संस्कृति ऊपर अतिक्रमण करत करत हमर धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र ला एक धार्मिक राष्ट्र बना देहीं।
अउ अपन संविधान लागू करहीं तब वर्ण अब्यवस्था के हिसाब ले आपके कैटेगरी बनही अब आप सोंचव हमर लोग लइका के भविष्य का होही 👈🤔
धार्मिक मन हमेशा कहिथे की अपन अपन भगवान के मर्जी बिना पत्ता भी नइ हाले अउ ये दुनिया मा कतको धरम हे सब अपन अपन दम भरत रहिथें लेकिन सही मा अइसे हे का आप सब ला विचार करना हे।
अब हम का बुढ़ालपेन अउ सजोर पेन के सेवा करथन येखर बारे मा चर्चा कर लेथन मैं अपन मथि ले अपन विचार रखत हँव बाकी आप ला विचार करना हे अउ अनुभव करके कमेंट मा अपन विचार ला बताना हे🙏
मैं अपन *बुढ़ादेव* ला येखर सेती मानथँव सेवा करथँव काबर की वोमन ये संसार मा साक्षात रहिन अउ हमर बर बहुत कठिनाई ला सहिन हमर बर आगी के खोज करिन पानी ला कोन पीये लाइक हे कोन नहीं ये बताइन अन्न के खोज करिन खेती करे के तरिका खोज करिन बइला भंइसा कुकरी बोकरा सब ला पोसे पाले बर सिखाइन कपड़ा लता गाड़ी घोड़ा सब ला खोज के आज हमर जिनगी ला सरल बनाइन हे आज जतका भी चीज के उपभोग करथन सब ऊँखरे खोजे आय धीरे धीरे विकास करत करत आज हम अतका सुग्घर जिनगी पाय हन।
ये सब उपकार के सेती आज हम हमर हर पंडूम में जो भी नवा फसल आथे सबले पहली हमर पुरखा ला सेवा चढ़ाथन तेखर बाद हम कहीं भी चीज के उपभोग करथन
अउ हमर पुरखा बहुत ही दूरद्रष्टा रहिन तेखर सेती ये सब भुला झन जाए कहिके येला संस्कृति के रूप देइन ताकि अनंत काल तक हमर इतिहास ला याद रखे जा सके।
*सजोर पेन* माने बड़ादेव या प्रकृति शक्ति(क्षेत्र हिसाब से सब अलग अलग नाम ले जानथें) जेखर बिना दुनिया के कल्पना नइ करे जा सके अउ ये कोनो ला छोटे बड़े नइ जाने ना कोनो ला कम जादा नइ जाने सब बरोबर ना काखरो ले प्रसन्न होय ना काखरो बर गुस्सा सबला बरोबर उपलब्ध हे कोनो प्रकार के भेदभाव नइहे इंसान तो का येला जीव जंतु सब जानथें कि प्रकृति के बगैर हमर कोनो अस्तित्व नइहे।
आप सब भी सोंचव विचारव तेखर बाद मानो कोई कहात तेखर पाछू मत जावव।
अतेक महान संस्कृति के धनी हमर पुरखा मन के रद्दा ला छोड़ हमन दूसर के भड़कौनी में जात हन अउ अपने भाई बंद के दुश्मन हो जात हन
चमत्कार के पाछू मत भागो मोर भाई हो काबर कि वोखर पाछू दौड़ा के कोनो हमर फिरकी लेवत हे अउ अर्थिक मानसिक समाजिक शोषण करत हे।
अब आपे मन विचार करके बताव प्रकृति शक्ति ले कोनो अउ बड़े हो सकथे का❓
अरे भाई भगवान ला भगवान कहिके तब जानें हें जब बोली भाखा अउ लिपि के अविष्कार होइस सब धर्म ग्रंथ घला तभे लिखे गिस हे अब आप ला खोजना हे कि लिपि के अविष्कार कब होइस ❓
हमर पुरखा मन वोखर ले कतको पहली आदिकाल ले प्रकृति के सेवा करत आत हें
अउ प्रकृति के सेवा करे धूप दीप अगरबत्ती के जरूरत नइ पड़े करम मेहनत के जरूरत होथे जे आज भी सर्वमान्य हे
अब आप ला तय करना हे सत्य का हे अउ काल्पनिक का हे
कमेंट जरूर करहू 🙏
सेवा जोहार
आप के सँगवारी
✒️अनिल सलाम
गाँव उरैया नयापारा
तहसील नरहरपुर
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