*संगी बसंत बहार आगे*
संगी बसंत बहार आगे देखव आमा चार मउरागे!!
अमरइया मा कोयली कुहके सुग्घर गुरतुर गुरतुर लागे!!
रंग रंग के फूल फूलत हे जुना पाना झर के नवा उलहत हे!!
प्रकृति सजे संवरे लगत हे ये डारा वो डारा चिरई चहकत हे!!
लागत हे जइसे तिहार आगे
संगी बसंत बहार आगे.....
खेत मा सुग्घर सरसो फूले गेहूँ के बाली झूलना झूले!!
भुनुन भुनुन करत भौंरा बुले मुस्कावत फूल कहे मोला छुले!!
हरियर रंग मोर मनला भागे
संगी बसंत बहार आगे.....
मया के मौसम अइसे छाए मन के मिलौना तोर सुरता आए!!
कलप के हिरदे मोला सताए मिले बर तोला अमरइया बुलाए!!
रही रही नयना तोर रस्ता ताके
संगी बसंत बहार आगे......
अनिल सलाम